NEET-PG 2025: सुप्रीम कोर्ट का One Time exam आयोजित करने का आदेश

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (30 मई 2025) को एक महत्वपूर्ण निर्णय में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) को निर्देश दिया कि NEET-PG 2025 परीक्षा को दो पालियों में आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस प्रणाली को अनुचित और असमान बताते हुए कहा कि यह परीक्षार्थियों के लिए समान अवसर प्रदान नहीं करता। इसके बजाय, कोर्ट ने NBE को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि परीक्षा एकल पाली में आयोजित हो, ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ ने यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया, जो NBE के NEET-PG 2025 को दो पालियों में आयोजित करने के फैसले को चुनौती दे रही थीं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “दो पालियों में परीक्षा आयोजित करना मनमानी को जन्म देता है और यह सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर प्रदान नहीं करता।” कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि दो पालियों में प्रश्नपत्रों की कठिनाई का स्तर एक समान नहीं हो सकता, जिससे कुछ उम्मीदवारों को अनुचित लाभ या हानि हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि NBE के पास 15 जून 2025 को होने वाली इस परीक्षा के लिए एकल पाली में आयोजन की व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय है। कोर्ट ने कहा, “पिछले साल विशेष परिस्थितियों में दो पालियों में परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन अब परीक्षा बोर्ड को एकल पाली में परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था करनी चाहिए।” यदि NBE को पर्याप्त केंद्रों की व्यवस्था करने में कठिनाई होती है, तो वे समय विस्तार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शिखिल सूरी, विदिशा स्वरूप, डॉ. चारु माथुर, और अवनी बंसल सहित अन्य ने तर्क दिया कि दो पालियों में परीक्षा आयोजित करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उम्मीदवारों के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि दो पालियों में प्रश्नपत्रों की कठिनाई में भिन्नता और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण निष्पक्षता सुनिश्चित करना लगभग असंभव है।

NBE की ओर से दलील दी गई कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के माध्यम से दोनों पालियों के प्रश्नपत्रों की कठिनाई को समान किया जाता है। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि नॉर्मलाइजेशन को नियमित रूप से लागू नहीं किया जा सकता और इसे केवल असाधारण परिस्थितियों में उपयोग करना चाहिए।

यह निर्णय NEET-PG 2024 के अनुभवों के बाद आया है, जहां दो पालियों में आयोजित परीक्षा में प्रश्नपत्रों की कठिनाई में अंतर की शिकायतें सामने आई थीं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि दूसरी पाली का प्रश्नपत्र अपेक्षाकृत आसान था, जिसने कुछ उम्मीदवारों को अनुचित लाभ दिया। इस बार, सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया है कि NEET-PG 2025 में सभी उम्मीदवारों को समान और निष्पक्ष अवसर मिले।

इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में NEET-PG परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कच्चे स्कोर, उत्तर कुंजी, और नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले को प्रकाशित करने का आदेश शामिल है। यह कदम उम्मीदवारों के बीच विश्वास बढ़ाने और परीक्षा प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

NEET-PG 2025 के लिए यह निर्णय लाखों मेडिकल उम्मीदवारों के लिए एक राहत की बात है, जो इस परीक्षा के माध्यम से देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने की उम्मीद कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न केवल निष्पक्षता को बढ़ावा देगा, बल्कि भविष्य में अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा।

NEET-PG 2025: सुप्रीम कोर्ट का One Time exam आयोजित करने का आदेश

 


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